क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है? 03 Important Points

हां, भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता हैं। हम मानते है कि भविष्य का वर्तमान कर्मों से संबंध हैं। जैसा आप काम/कर्म करेंगें वैसा ही परिणाम आपको प्राप्त होगा। हम इस विचारधारा को मानते हैं। अतः हम कहते है कि भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता हैं। आप अच्छा कार्य करेंगें तो आपको अच्छे परिणाम प्राप्त होगें और आप किसी का बुरा करेंगें तो आपका अहित होना निश्चित हैं।

वास्तव में, क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है?

हम सभी अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं। क्या हम अमीर होंगे? क्या हम सफल होंगे? क्या हम खुश रहेंगे? ये सवाल हमारे मन में हमेशा उठते रहते हैं। लेकिन वास्तव में क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता हैं ? हम  अपने भविष्य को बदल सकते हैं? या यह पहले से तय है या हम अपने कर्मों से इसे बदल सकते हैं?

इस संबंध में, बडी सीधी सी बात है कि कोई कर्म करेगा ही नहीं तो उसे फल कैसे प्राप्त होगा। वह केवल भाग्य के भरोसे नहीं बैठ सकता हैं । यदि किसी व्यक्ति ने लाॅटरी की टिकट खरीदा ही नहीं है तो उसे लाॅटरी कैसे खुल सकती हैं। लेकिन हजारों -लाखों लोगों ने लाॅटरी का टिकट खरीदा हैं और उसमें आपका नम्बर लगें यह आपके भाग्य पर निर्भर है। और यह कौन सा भाग्य हैं जो आपने खुद कर्म करके बनाया हैं।

यदि किसी ने आपसे अच्छा कर्म किया है तो लाॅटरी का टिकट उसे करोडपती बनायेगा। क्योंकि उसने कभी ना कभी एक ऐसा अच्छा कर्म किया है जो लाॅटरी टिकट खरीदने वाले उन हजारों-लाखों लोगों में सबसे अच्छा हैं। हो सकता है कि उसे वयक्ति को यह बात पता ना हो वह केवल इसे भाग्य का कार्य समद्य रहा हो।

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एक ओर बात मान लीजिये कि आपको मुम्बई से दिल्ली जाना हैं तो आप भाग्य के भरोसे बैठे रहेंगे कि आप टिकट खरीदकर यात्रा करेंगें। जाहिर सी बात हैं आप टिकट खरीदेंगें और मंजिल तक जायेेंगें। यह टिकट खरीदना एक कर्म हैं। और जो भाग्य के भरोसे बैठा था वह अभी मुम्बई में ही हैं।

कई बार ऐसा होता है कि आप कोई कर्म पूरी मेहनत के साथ कर रहे हैं परंतु आपको उसका सकारात्मक फल प्राप्त नहीं होता है और जिसने आपसे कम मेहनत की है वह आपसे उन्नति के मामले में आपसे आगे निकल जाता हैं। इसका एक ही कारण है कि आपकेे द्वारा कोई ऐसा कार्य किया गया है जोकि आपकी उन्नति के मार्ग में बाधक हैं। और जो वयक्ति आपसे आगे निकला है वह उसने जीवन में कोई ऐसा अच्छा कर्म किया होगा जिससे कि उसे लगातार उन्नति मिल रही हैं।

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उदाहरण : जिससे आप समझ सकते हैं कि क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है?

एक व्यक्ति चोरी, लूटपाट और हत्या करता हैं पंरतु उसे पैसों से भरा घडा मिलता हैं इसके विपरीत एक वयक्ति जो कि सभी अच्छे आचरण से युक्त हैं वह एक कीचड में नीचे धंस रही एक भैंस/गाय को बचाने की कोशिश करता हैं वह उस गाय/भैंस को बचा तो लेता है परंतु बचाने के चक्कर में उसके पांव में कील घुस जाती हैं जिससे उसको बहुत खुन निकलता हैं।

अब आपको लगेगा कि बुरा कर्म करने के वाले वयक्ति के साथ अच्छा हुआ और अच्छा कर्म करने वाले के साथ बुरा हुआ। लेकिन ऐसा नहीं हैं अच्छा करने वाले के साथ अच्छा ही होता हैं और बुरा करने वाले के साथ बुरा ही होता हैं।

जो व्यक्ति चोरी, लूटपाट और हत्या करता था उस दिन उसको खजाना मिलने वाला था परंतु चोरी, लूटपाट, हत्या आदि जैसे कुकर्मों के कारण उसे बस पैसों भरा घडा ही मिलता हैं और दुसरी तरफ जिस व्यक्ति ने कीचड में नीचे धंस रही एक भैंस/गाय को बचाने की कोशिश की थी वह उस दिन उसका भाग्य उसे सूली पर चढाने वाला था परंतु उसके अच्छे कर्माें के कारण उसे कील चुभकर रह गई।

कहा भी गया है कि सूली की सुई पर उतरना। यह भाग्य हैं परंतु इसका निर्माण कर्माें के द्वारा हुआ हैं। आपको नहीं पता है कि आपका कौन सा कर्म आपके भाग्य में किस तरह का योगदान देगा।

मान लीजिए कि एक छात्र है जो पढ़ाई में मेहनत नहीं करता है। वह हमेशा समय बर्बाद करता है और वीडियो गेम खेलता रहता है। परिणामस्वरूप, वह परीक्षा में फेल हो जाता है। यह छात्र अपने कर्मों के कारण इस स्थिति में है। अगर वह पढ़ाई में मेहनत करता तो वह परीक्षा में पास हो जाता।

दूसरा उदाहरण लीजिए एक व्यक्ति का जो हमेशा दूसरों की मदद करता है। वह दान करता है, गरीबों की मदद करता है और जरूरतमंदों की मदद करता है। परिणामस्वरूप, वह समाज में सम्मानित होता है और उसे खुशी मिलती है। यह व्यक्ति अपने कर्मों के कारण इस स्थिति में है। अगर वह दूसरों की मदद नहीं करता तो उसे यह सम्मान और खुशी नहीं मिलती।

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क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है?क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है?

हांलांकि, भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है या नहीं, यह एक जटिल और विचारोत्तेजक प्रश्न है। इस विषय पर विभिन्न दृष्टिकोण और मान्यताएँ हैं, जिन्हें हम विस्तार से समझ सकते हैं।

1. दर्शन और धर्म का दृष्टिकोण

धर्म और दर्शन में विभिन्न दृष्टिकोण हैं:

कर्म और भाग्य

धर्म और दर्शन में कर्म का सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण है। कर्म के अनुसार, हमारे वर्तमान कर्म हमारे भविष्य को निर्धारित करते हैं। यदि हम अच्छे कर्म करते हैं, तो हमारा भविष्य उज्जवल होगा, और यदि बुरे कर्म करते हैं, तो परिणाम भी नकारात्मक हो सकते हैं। इस प्रकार, हमारे कर्मों के माध्यम से हम अपने भविष्य को परिवर्तित कर सकते हैं।

पूर्व निर्धारित भाग्य

कुछ धर्म और दर्शन यह मानते हैं कि भविष्य पहले से ही निर्धारित है और हम इसे नहीं बदल सकते। यह दृष्टिकोण भाग्यवाद (fatalism) कहलाता है, जिसमें यह माना जाता है कि सभी घटनाएँ पूर्वनिर्धारित होती हैं और हमारे पास उन्हें बदलने की शक्ति नहीं है। परंतु यह मानने वाले बहुत ही कम हैं और हम भी इस विचारधारा पर विश्वास नहीं करते हैं।

2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो भविष्य अनिश्चित और अस्थिर होता है। इसमें कई कारक और संभावनाएँ होती हैं, जिन्हें नियंत्रित किया जा सकता है या प्रभावित किया जा सकता है।

कारण और प्रभाव का नियम

विज्ञान में कारण और प्रभाव का नियम लागू होता है। हमारे वर्तमान कार्य और निर्णय हमारे भविष्य को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप नियमित रूप से अध्ययन करते हैं और मेहनत करते हैं, तो परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है। इसी प्रकार, यदि आप स्वास्थ्यप्रद जीवन शैली अपनाते हैं, तो आपका स्वास्थ्य बेहतर रहने की संभावना है।

प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग

आज के दौर में, डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग की मदद से भविष्य की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। विभिन्न क्षेत्रों में, जैसे वित्त, स्वास्थ्य, और मौसम विज्ञान में, इन तकनीकों का उपयोग कर भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है और इसके आधार पर कार्रवाई की जाती है। हालांकि, ये अनुमान पूर्णत: सटीक नहीं होते, लेकिन यह बताते हैं कि भविष्य को किसी हद तक नियंत्रित और परिवर्तित किया जा सकता है।

3. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

मनोविज्ञान में यह माना जाता है कि हमारी सोच, विश्वास, और व्यवहार हमारे भविष्य को प्रभावित करते हैं। सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास से भरे व्यक्ति अक्सर कठिनाइयों को पार कर सफलता प्राप्त करते हैं।

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आत्म-सुधार और संकल्प

यदि व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहता है और निरंतर आत्म-सुधार की दिशा में कार्य करता है, तो वह अपने भविष्य को बदल सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को कोई बुरी आदत है, तो उसे छोड़ने का संकल्प और उस पर अमल उसके भविष्य को बेहतर बना सकता है।

4. प्रेरणादायक दृष्टिकोण

प्रेरणादायक कहानियाँ और उद्धरण यह बताते हैं कि अपने परिश्रम, धैर्य, और संकल्प से व्यक्ति अपने भविष्य को बदल सकता है। महान व्यक्तियों की जीवन कथाएँ यह साबित करती हैं कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद, उन्होंने अपने भविष्य को अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से बदल दिया।

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निष्कर्ष : क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है?

भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है या नहीं, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस दृष्टिकोण से इसे देखते हैं। धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण हमें कर्म और संकल्प का महत्व बताते हैं, जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमें कारण और प्रभाव के नियम के माध्यम से यह समझाता है कि हमारे कार्य हमारे भविष्य को कैसे प्रभावित करते हैं।

अंततः, यह कहा जा सकता है कि हमारे वर्तमान निर्णय, कर्म, और दृष्टिकोण हमारे भविष्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपने लक्ष्यों की दिशा में निरंतर प्रयास करना चाहिए।

तो इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है?

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FAQ –

1. क्या भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता है?

Ans. हां, भविष्य को परिवर्तित किया जा सकता हैं। हम मानते है कि भविष्य का वर्तमान कर्मों से संबंध हैं। जैसा आप काम/कर्म करेंगें वैसा ही परिणाम आपको प्राप्त होगा।

2.. क्या भविष्य को परिवर्तित करना आसान कार्य हैं?

Ans. नहीं

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